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Toggleदिमाग में पानी कैसे भर जाता है, जानिए लक्षण, कारण और उपचार के बारे में
“दिमाग में पानी भरना” – यह शब्द सुनते ही अक्सर लोगों के मन में डर पैदा हो जाता है। चिकित्सकीय भाषा में इस स्थिति को हाइड्रोसिफ़लस (Hydrocephalus) कहा जाता है। इसमें दिमाग के अंदर मस्तिष्क-मेरु द्रव (Cerebrospinal Fluid – CSF) नामक एक पारदर्शी तरल पदार्थ असामान्य रूप से जमा हो जाता है।
यह द्रव सामान्यतः दिमाग को सदमे से बचाता और पोषण देता है, लेकिन जब इसका बहाव अवरुद्ध हो जाता है या इसका अवशोषण ठीक से नहीं हो पाता, तो यह दिमाग के विभिन्न कक्षों (वेंट्रिकल्स) में जमा होने लगता है। इससे वेंट्रिकल्स फूल जाते हैं और मस्तिष्क पर दबाव पड़ता है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
इंदौर के प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन डॉ. अमित देवड़ा के अनुसार, “हाइड्रोसिफ़लस कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक ऐसी स्थिति है जिसका कारण ढूंढकर और समय रहते सही उपचार करके मरीज की जिंदगी बचाई और बेहतर बनाई जा सकती है।”
हाइड्रोसिफ़लस (दिमाग में पानी) के प्रमुख लक्षण क्या हैं?
इसके लक्षण उम्र के अनुसार अलग-अलग होते हैं।
शिशुओं में लक्षण:
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सिर का आकार असामान्य रूप से बड़ा होना।
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सिर के ऊपर की हड्डियों के बीच नरम स्थान (फॉन्टानेल) का उभरा हुआ और तना हुआ दिखाई देना।
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उल्टी होना और चिड़चिड़ापन।
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आँखों का नीचे की ओर धँस जाना।
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दौरे पड़ना।
वयस्कों और बड़े बच्चों में लक्षण:
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लगातार और तेज सिरदर्द, खासकर सुबह उठने पर।
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जी मिचलाना या उल्टी होना।
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दृष्टि संबंधी समस्याएं जैसे धुंधला दिखाई देना।
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चलने-फिरने में समस्या और संतुलन बनाए रखने में कठिनाई।
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याददाश्त कमजोर होना और एकाग्रता में कमी।
इंदौर के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. अमित देवड़ा बताते हैं, “अक्सर वयस्कों में ये लक्षण माइग्रेन या बुढ़ापे की सामान्य समस्या समझकर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं। अगर सिरदर्द के साथ चलने या याददाश्त में दिक्कत हो, तो तुरंत किसी न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए।”
दिमाग में पानी भरने के मुख्य कारण
दिमाग में पानी (हाइड्रोसिफ़लस) के कारणों को मुख्यतः दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
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जन्मजात हाइड्रोसिफ़लस: यह शिशु के जन्म के समय मौजूद होता है। इसके पीछे आनुवंशिकता, गर्भावस्था के दौरान हुआ संक्रमण, या समय से पहले जन्म लेने के कारण मस्तिष्क में रक्तस्राव जैसे कारण हो सकते हैं।
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अर्जित हाइड्रोसिफ़लस: यह जन्म के बाद किसी कारण से विकसित होता है। इनमें शामिल हैं:
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दिमागी चोट (हेड इंजरी)
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दिमाग में रक्तस्राव (ब्रेन हैमरेज)
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दिमाग का ट्यूमर
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मैनिंजाइटिस जैसे संक्रमण
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ब्रेन स्ट्रोक
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न्यूरोसर्जन डॉ. अमित देवड़ा का कहना है कि, “हमारे यहाँ इंदौर में आने वाले मरीजों में अर्जित (दिमाग में पानी) हाइड्रोसिफ़लस के मामले अधिक देखने को मिलते हैं, जिनमें सड़क दुर्घटना में लगी चोट या स्ट्रोक एक प्रमुख कारण होता है।”
हाइड्रोसिफ़लस (दिमाग में पानी भरना) के आधुनिक उपचार क्या हैं?
हाइड्रोसिफ़लस का सबसे प्रचलित और कारगर उपचार सर्जरी है। दवाइयाँ केवल अस्थायी राहत दे सकती हैं।
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शंट प्रत्यारोपण (Shunt Implantation): यह सबसे आम सर्जरी है। इसमें एक लंबी, लचीली ट्यूब (शंट) लगाई जाती है, जिसका एक सिरा दिमाग के वेंट्रिकल में और दूसरा सिरा पेट की गुहा (एब्डोमेन) में लगाया जाता है। यह शंट अतिरिक्त द्रव को दिमाग से निकालकर पेट में पहुँचाती है, जहाँ से उसे शरीर द्वारा सोख लिया जाता है। शंट में एक वाल्व लगा होता है जो यह नियंत्रित करता है कि द्रव एक निश्चित दबाव पर ही बहे।
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एंडोस्कोपिक थर्ड वेंट्रिकुलोस्टोमी (ETV): यह एक मिनिमली इनवेसिव तकनीक है। इसमें न्यूरोसर्जन एक छोटे कैमरे (एंडोस्कोप) की मदद से दिमाग के तीसरे वेंट्रिकल के आधार में एक छोटा सा छेद कर देते हैं। इससे अवरुद्ध द्रव इस छेद के रास्ते मस्तिष्क की सतह पर बहने लगता है, जहाँ से उसका अवशोषण हो जाता है। यह तकनीक सभी मरीजों के लिए उपयुक्त नहीं होती।
इंदौर के प्रतिष्ठित न्यूरोसर्जन डॉ. अमित देवड़ा इस बात पर जोर देते हैं कि, “उपचार का चुनाव मरीज की उम्र, हाइड्रोसिफ़लस के कारण और उसकी सामान्य स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। आज आधुनिक तकनीकों की बदौलत यह सर्जरी बहुत सुरक्षित और प्रभावी हो गई है।”
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. मस्तिष्क तक पानी पहुंचने में कितना समय लगता है?
यह प्रश्न थोड़ा भ्रामक है। दरअसल, दिमाग में पहले से ही CSF द्रव मौजूद होता है, जो लगातार बनता और सोखा जाता रहता है। समस्या तब शुरू होती है जब यह द्रव जमा होने लगता है। यह प्रक्रिया कितनी तेज है, यह रुकावट की गंभीरता पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में यह धीरे-धीरे हफ्तों या महीनों में होता है, तो कभी गंभीर चोट के बाद यह कुछ ही दिनों या घंटों में विकराल रूप ले सकता है। इस संदर्भ में न्यूरोसर्जन डॉ. अमित देवड़ा की सलाह है कि लक्षण दिखते ही तुरंत जांच कराएं।
2. आपको कैसे पता चलेगा कि आपके दिमाग में कुछ गड़बड़ है?
ऊपर बताए गए लक्षणों पर ध्यान दें – जैसे बिना किसी स्पष्ट वजह का लगातार सिरदर्द, अचानक चलने-फिरने में दिक्कत, याददाश्त कमजोर होना, या दृष्टि धुंधली होना। अगर आपको ऐसे कोई भी लक्षण महसूस होते हैं, तो यह ‘दिमाग में गड़बड़ी’ का संकेत हो सकता है और तुरंत किसी न्यूरोलॉजिस्ट या न्यूरोसर्जन डॉ. अमित देवड़ा जैसे विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।
3. क्या हाइड्रोसिफ़लस से पीड़ित बच्चा सामान्य जीवन जी सकता है?
बिल्कुल। समय पर और सफल उपचार के बाद, अधिकांश बच्चे पूरी तरह से सामान्य और सक्रिय जीवन जी सकते हैं। उन्हें नियमित फॉलो-अप की जरूरत होती है ताकि शंट ठीक से काम कर रहा है या नहीं, इस पर नजर रखी जा सके। कुछ बच्चों को सीखने में थोड़ी मदद की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन ज्यादातर बच्चे स्कूल जाते हैं और खेती-कूद में हिस्सा लेते हैं।
4. क्या हाइड्रोसिफ़लस आनुवंशिक है?
ज्यादातर मामलों में हाइड्रोसिफ़लस आनुवंशिक नहीं होता है। हालाँकि, कुछ दुर्लभ आनुवंशिक सिंड्रोम्स (जैसे X-Linked Hydrocephalus) इसका कारण बन सकते हैं। अगर परिवार में पहले किसी को यह समस्या रही है, तो गर्भावस्था के दौरान Genetic Counselling लेना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इंदौर के न्यूरोसर्जन डॉ. अमित देवड़ा की मानें तो, “अधिकांश माता-पिता को यह जानकर राहत मिलती है कि उनकी गलती से यह स्थिति नहीं हुई है।”